Shree Naval Kishori

अदिती द्वारा श्रीसूर्यदेव की स्तुति

भगवन् ! आप अत्यन्त सूक्ष्म, परम पवित्र और अनुपम तेज धारण करते हैं। तेजस्वियोंके ईश्वर, तेजके आधार तथा सनातन देवता हैं। आपको नमस्कार हैं। 

गोपते ! जगत्का उपकार करनेके लिये मैं आपकी स्तुति–आपसे प्रार्थना करती हैं। प्रचण्ड रूप धारण करते समय आपकी जैसी आकृति होती है, उसको मैं प्रणाम करती हैं। 

क्रमश: आठ मासतक पृथ्वीके जलरूप रसको ग्रहण करनेके लिये आप जिस अत्यन्त तीव्र रूपको धारण करते हैं, उसे मैं प्रणाम करती है। 

आपका वह स्वरूप अग्नि और सोमसे संयुक्त होता है। आप गुणात्माको नमस्कार है।

 विभावसो ! आपका जो रूप ऋक्, यजुर् और सामकी एकतासे त्रयीसंज्ञक इस विश्वके रूपमें तपता है उसको नमस्कार है।

 सनातन ! उससे भी परे जो ‘ॐ’ नामसे प्रतिपादित स्थूल एवं सूक्ष्मरूप निर्मल स्वरूप है, उसको मेरा प्रणाम है।