Shree Naval Kishori

नारदसंहिता अध्याय-32

सुरूपः सुभगो रूक्षो मतिमान्भूषणप्रियः ॥
अंगनावल्लभः शूरो यो जातश्चाश्चिभे नरः ॥ १ ॥
सुंदररूपवान्, सुंदरऐश्वर्यवान्, रूक्षवर्ण, बुद्धिमान्, आभूषणप्रिय, स्त्रियोंका प्रिय, शूरवीर, ऐसा मनुष्य अश्विनीनक्षत्रमें जन्मनेसे होता है ॥ १ ॥

कामोपचारकुशलः सत्यवादी दृढव्रतः ॥
अरोगः सुभगो जातो भरण्यां लघुभुक्सुरवी ॥ २ ॥
कामशास्त्रमें निपुण, सत्यबोलने वाला, दृढ़नियमवाला, रोगरहित, सुंदर ऐश्वर्यवान्, हलका भोजन करनेवाला, सुखी ऐसा मनुष्य भरणीमें जन्मनेसे होता है ॥ २ ॥

तेजस्वी मतिमान्दाता बहुभुक्प्रमदाप्रियः ॥
गंभीरः कुशलो मानी वह्रिनक्षत्रजः शुचिः ॥ ३ ॥
तेजस्वी, बुद्धिमान, दाता, बहुत भोजन करनेवाला, स्त्रियोंसे प्यार रखनेवाला, गंभीर, चतुर, मानी, ऐसा पुरुष कत्तिका नक्षत्रमें जन्मनेसे होता है ॥ ३ ॥

सुरूपः स्थिरधीर्मानी भोगवान्सुरतप्रियः ॥
प्रियवाक्चतुरो दक्षस्तेजस्वी ब्रह्राधिष्ण्यजः ॥ ४॥
और सुंदररूपवान्, स्थिरबुद्धिवाला, मानी, भोगवान्, मैथुन प्रिय, प्रियबोलनेमें चतुर, सबकामों में निपुण, तेजस्वी ऐसा पुरुष रोहिणीमें जन्मनेसे होता है ॥ ४ ॥

उत्साही चपलो भीरुर्धनी सामप्रियः शुचिः ॥
आगमज्ञः प्रभुर्विद्वानिंदुनक्षत्रजः सदा ॥ ५ ॥
और मृगशिरमें जन्मनेवाला मनुष्य चपल, उत्साहवाला, डरपोक, धनी, साम ( समझना ) में प्रिय, पवित्र, शास्त्रको जानने वाला, प्रभु, विद्वान होता है ॥ ५ ॥

अविचारपरः क्रूरः क्रयविक्रयनैपुणः ॥
गवि हिंस्रश्चंडकोपी कृतघ्नः शिवधिष्ण्यजः ॥ ६ ॥
और आर्द्रा नक्षत्रमें जन्मनेवाला पुरुष विचारवान नहीं होता क्रूर तथा खरीदने बेचनेके व्यवहारमें निपुण, हिंसा करनेवाला, प्रचंड कोपाला, कृतध्न पुरुष होता है ॥ ६ ॥

दुर्मेधा वा दर्शनीयः परस्त्रीकार्यनैपुणः ॥
सहिष्णुरत्यसंतुष्टः शीघ्रगोदितिधिष्ण्यजः ॥ ७ ॥
पुनर्वसुमें जन्मनेवाला जन खराब बुद्धिवाला, दर्शनीय, परस्त्रीके कार्यमें निपुण, सहनेवाला, संतोष रहित, शीघ्रगमन करने वाला होता है ॥ ७ ॥

पंडितः सुभगः शूरः कृपालुर्धार्मिको धनी ॥
कलाभिज्ञः सत्यवादी कामी पुष्यर्क्षजो लघुः ॥ ८ ॥
और पुष्यनक्षत्र में जन्म होय तो पंडित, सुंदरऐश्वर्यवान्, शूरवीर कृपालु, धार्मिक, धनी, कलाओं को जाननेवाला, सत्यवादी, सरल ऐसा मनुष्य होता है ॥ ८ ॥

श्रेष्ठो धूर्तः क्रूरशुरौ परदाररतः शठः ॥
अवक्रो व्यसनी दांतः सार्पनक्षत्रजो नरः ॥ ९ ॥
आश्लेषा नक्षत्रमें जन्मनेवाला मनुष्य श्रेष्ठ, धूर्त, क्रूर, शूरवीर, परस्त्रीगामी, मूर्ख, कुटिलतारहित, व्यसनी, जिसेंद्रिय होता है ॥ ९ ॥

शूरः स्थूलहनुः कुक्षो कोपवक्तासहः प्रभुः ॥
गुरुदेवार्चने सक्तस्तेजस्वी पितृधिष्ण्यजः ॥ १० ॥
मघानक्षत्रमें जन्मनेवाला मनुष्य शूरवीर, भारीठोडीवाला, स्थुलकटिवाला, क्रोधके वचन बोलनेवाला, नहीं सहनेवाला, समर्थ, गुरु तथा देवताके पजनमें आसक्त, तेजस्वी होता है ॥ १० ॥

द्युतिमानटनो दाता नृपशास्त्रविशारदः ॥
कार्याकार्यविचारज्ञो भाग्यनक्षत्रजः पटुः ॥ ११ ॥
पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्रमें जन्मनेवाला पुरुष विचरनेवाला, दाता, नृप,शास्त्र में निपुण, कार्य अकार्यके विचारमें निपुण तथा चतुर होता है ॥ ११ ॥

जितशत्रुः सुखी भोगी प्रमदामर्दने कविः ॥
कलाभिज्ञः सत्यरतः शुचिः स्यादर्यमर्क्षजः ॥ १२ ॥
उत्तराफाल्गुनीमें जन्मनेवाला जन शत्रुओंको जीतता है सुख तथा भोगी स्त्रियोंसे क्रीडा करनेमें चतुर, कलाओंको जाननेवाला, सत्यरत और पवित्र होता है ॥ १२ ॥

मेधावी तस्करोत्साही परकार्यरतो भटः ॥
परदेशस्थितः शूरः स्त्रीलाभः सूर्यधिष्ण्यजः ॥ १३ ॥
हस्तनक्षत्रमें जन्मनेवाला पुरुष बुद्धिमान, चोरीमें उत्साहवाला, परकार्यमें रत, शूरवीर, परदेशमें रहनेवाला, पराक्रमी, स्त्रीसे लाभकरनेवाला होता है ॥ १३ ॥

चित्रमाल्यांबरधरः कामशास्त्रविशारदः ॥
द्युतिमान्धनवान्भोगी पंडितस्त्वष्ट्रधिष्ण्यजः ॥ १४ ॥
जो चित्रानक्षत्रमें जन्मे वह विचित्रमाला तथा विचित्र सुंदर वस्त्रोंको पहिननेवाला और कामशास्त्रमें निपुण होता है कांतिमानु, धनवान्, भोगी, तथा पंडित होता है ॥ १४ ॥

धार्मिकः प्रियवाक्छूरः क्रयविक्रयनैपुणः ॥
कामी बहुसुतो दांतो विद्यावान्मारुतरर्क्षजः ॥ १५ ॥
स्वातिनक्षत्रमें जन्मनेवाला जन, धार्मिक, प्रियबोलनेवाला शूरवीर, खरीदने बेचनेके व्यवहारमें निपुण, कामी, बहुतपुत्रोंवाला, जितेंद्रिय, विद्यावान होता है ॥ १५ ॥

अन्यायोपरतः श्लक्ष्णो मायापटुरनुद्यमः ॥
जितेंद्रियोर्थवॉलुब्धो विशाखर्क्षसमुद्भवः ॥ १६ ॥
अन्यायमें तत्पर, चतुर, मायारचनेमें चतुर, उद्यमरहित, जितेंद्रिय, धनवान्, लोभी ऐसा पुरुष विशाखानक्षत्रमें जन्मनेवाला होता है ॥ १६ ॥

नृपकार्यरतः शूरो विदेशस्थांगनापतिः ॥
सुरूपच्छन्नपापश्च पिंगलो मैत्रधिष्ण्यजः ॥ १७ ॥
राजाके कार्यमें तत्पर, शूरवीर, विदेशमें रहनेवाला, स्त्रियोंका मालिक, सुंदररूपवान्, गुप्त पापकरनेवाला, पिंगलवर्ण ऐसा पुरुप अनुराधा नक्षत्रमें जन्मनेवाला होता है ॥ १७ ॥

बहुव्ययपरः क्लेशसहः कामी दुरासदः ॥
क्रूरचेष्टो मृषाभाषी धनवानिद्रधिष्ण्यजः ॥ १८ ॥
बहुतखर्चनेवाला क्लेशको सहनेवाला कामी मुशकिलसे प्राप्त होनेवाला, क्रूरचेष्टावाला, झूठ बोलनेवाला, धनवान ऐसा पुरुष ज्येष्ठानक्षत्रमें जन्मनेवाला होता है ॥ १८ ॥।

हिंस्रो मानी च भोगी च परकार्यप्रकाशकः ॥
मिथ्योपचारस्रीलोलः श्लक्ष्णौ नैऋतधिष्ण्यजः॥ १९ ॥
जो मूलनक्षत्रमें जन्मे वह हिंसक, अभिमानी, भोगी, पराये कामको प्रकट करनेवाला, मिथ्या उपचार करनेवाला स्त्रीविषे चंचल, चतुर होता है ॥ १९ ॥

सुकलत्रः कामचारः कुशलो दृढसौहृदः ॥
क्लेशभाग्वीर्यवान्मानी जलनक्षत्रसंभवः ॥ २० ॥
पूर्वाषाढमें जन्मनेवाला पुरुष सुंदर स्त्रीवाला, कामीं, चतुर, दृढप्रीतिवाला, क्लेश सहनेवाला, बलवान,अभिमानी होता है ॥ २० ॥

नीतिज्ञो धार्मिकः शूरो वहुमित्रो विनीतवान् ।
सुकलत्रः सुपुत्राढयश्चोत्तराषाढसंभवः ॥ २१ ॥
जो उत्तराषाढमें जन्मे वह नीतिशास्त्रको जाननेवाला, धार्मिक, शूरवीर, बहुत मित्रोंवाला, नीतिशास्त्रको जाननेवाला, सुंदर स्त्री और सुंदर पुत्रोंसे युक्त होता है ॥ २१ ॥

उदरे च दृढः श्रीमान्बहुवक्ता धनान्वितः ॥
काव्योक्तसुरताभिज्ञो धार्मिकः श्रवणर्क्षजः ॥ २२ ॥
श्रवणमें जन्मनेवाला पुरुष दृढ उदरवाला, श्रीमान्, बहुत कहने वाला, धनाढ्य, कव्योंके अलंकारों को जाननेवाला धार्मिक होता है ॥ २२ ॥

धार्मिको व्यसनी लुब्धो नृत्यगीतांगनाप्रियः ॥
सामैकसाध्यस्तेजस्वी वीर्यवान्वसुधिष्ण्यजः ॥ २३ ॥
धनिष्ठा नक्षत्रमें जन्मनेवाला नर धार्मिक, व्यसनी, लोभी, नाचना, गाना स्त्री इन्होंमें प्यार रखनेवाला, समझानेसे कार्य सिद्ध करनेवाला, तेजस्वी तथा बलवान होता है ॥ २३ ॥

दुर्गधो व्यसनी क्रूरः क्षयवृद्धियुतः शठः ॥
परदाररतः शूरः शततारर्क्षसंभवः ॥ २४ ॥
शतभिषानक्षत्रमें जन्म हो तो दुर्गधवाला, व्यसनी, क्रूर, क्षयवृद्धि रोगवाला, मूर्ख, परस्त्रीमें रत, शूरवीर नर होता है ॥ २४ ॥

उद्विग्नः स्त्रीजितः सौम्यः परनिंदापरायणः ॥
दांभिको दुःसहः शूरश्चाजयाद्धिष्ण्यसंभवः ॥ २५ ॥
पूर्वाभाद्रमें जन्म हो तो उद्विग्नमनवाला, स्त्रीजित, सौम्य, पराई निंदा करनेवाला, पाखंडी, दुस्सह, शूरवीर होता है ॥ २५ ॥

प्रजावान्धार्मिको वक्ता जितशत्रुः सुखी विभुः ॥
दृढव्रतः सदा कामी वाहिर्बुध्यर्क्षसंभवः ॥ २६ ॥
उत्तराभाद्रपदमें जन्मे तो संतानवाला,धार्मिक,वक्ता, शत्रुओंको जीतनेवाला, सुखी, समर्थ, दृढनियमवाला,सदा कामी होता है ॥ २६ ॥

रूपवान्धनवान्भोगी पंडितश्च जलार्थभुक् ॥
कामी च दुर्वृतः शूरः पौष्णजः परदेशगः ॥ २७ ॥
रेवती नक्षत्रमें जन्मनेवाला पुरुष रूपवान्, धनवान, भोगी, पंडित, जलके काममें द्रव्यकमानेवाला, कामी, दुष्ट आचरणवाला, शूरवीर और परदेशमें रहनेवाला होता है ॥ २७ ॥