Shree Naval Kishori

देवताओंद्वारा महादेवजी की स्तुति

पर्वत जिनका लिंगमय स्वरुप हैं, जो पर्वतों के स्वामी हैं, जिनका वेग पवन के समान हैं, जो विकृत रूपधारण करनेवाले तथा अपराजित हैं, जो क्लेशों का नाश करके शुभ सम्पत्ति प्रदान करते हैं, उन भगवान् शंकर को नमस्कार हैं । 

नील रंग की चोटी धारण करनेवाले अम्बिका पति को नमस्कार हैं; वायु जिनका स्वरुप हैं और जो सैकड़ों रुपधारण करनेवाले हैं, उन भगवान् शिव को प्रणाम हैं । 

दैत्यों के योग का नाश करनेवाले तथा योगियों के गुरु महादेवजी को प्रणाम हैं । 

सूर्य और चन्द्रमा जिनके नेत्र हैं तथा जो ललाट में भी नेत्र धारण करते हैं, उन भगवान् शंकर को नमस्कार हैं । 

जो श्मशान में क्रीडा करते और वर देते हैं, जिनके तीन नेत्र हैं, उन देवेश्वर शिव को प्रणाम हैं । 

जो गृहस्थ होते हुए भी साधू हैं, नित्य जटा एवं ब्रह्मचर्य धारण करनेवाले हैं, उन भगवान् शंकर को नमस्कार हैं । 

जो जलमें तपस्या करते, योगजनित ऐश्वर्य देते, मन को शांत रखते, इन्दिर्यों का दमन करते तथा प्रलय और सृष्टि के कर्ता हैं, उन महादेवजी को प्रणाम है । 

अनुग्रह करनेवाले भगवान् को नमस्कार हैं । पालन करनेवाले शिव को प्रणाम है । रूद्र, वसु, आदित्य और अश्विनीकुमारों के रूप में वर्तमान भगवान् शंकर को नमस्कार हैं । 

जो सबके पिता, सांख्यवर्णित पुरुष, विश्वेदेव, शर्व, उग्र, शिव, वरद, भीम, सेनानी, पशुपति, शुचि, वैरिहन्ता, सद्योजात, महादेव, चित्र, विचित्र, प्रधान, अप्रमेय, कार्य और कारण नामसे प्रतिपादित होते हैं, उन भगवान शिव को प्रणाम हैं । 

भगवन ! पुरुषरूप में आपको नमस्कार हैं । पुरुष में इच्छा उत्पन्न करनेवाले आपको प्रणाम हैं । 

आप ही पुरुष का प्रकृति के साथ संयोग कराते हैं और आप ही प्रकृति में गुणों का आधान करनेवाले हैं । आपको नमस्कार हैं ।

                     आप प्रकृति और पुरुष के प्रवर्तक, कार्य और कारण के विधायक तथा कर्मफलों की प्राप्ति करानेवाले हैं । आपको नमस्कार हैं । 

आप काल के ज्ञाता, सबके नियन्ता, गुणों की विषमता के उत्पादक तथा प्रजावर्ग को जीविका प्रदान करनेवाले हैं, आपको नमस्कार हैं । 

देवदेवेश्वर ! आपको प्रणाम हैं । भूतभावन ! आपको नमस्कार हैं । कल्याणमय प्रभो ! आप हमें दर्शन देने के लिये प्रसन्नमुख एवं सौम्य हो जायँ ।