शुक्र द्वारा भगवान् शिव की स्तुति
प्रभो ! मैं बालक हूँ । मेरी बुद्धि बालक की ही है और आप बालचंद्रमा को मस्तकपर धारण करनेवाले हैं । मुझे आपकी स्तुति करने का कुछ भी ज्ञान नहीं हैं । केवल आपको नमस्कार करता हूँ । गुरुने मुझे त्याग दिया हैं । मेरा कोई सुह्रद अथवा सखा नही हैं । आप ही सब प्रकार से मेरे प्रभु हैं । जगन्नाथ ! आपको नमस्कार हैं । आप गुरुवालों के भी गुरु और बड़ों के भी बड़े है । मैं छोटा बच्चा हूँ । मुझपर कृपा कीजिये । जगन्मय ! आपको नमस्कार हैं । सुरेश्वर ! मैं विद्या के लिये आपकी शरण में आया हूँ । मुझे आपके स्वरुप का कुछ भी ज्ञान नहीं है । आप स्वयं ही कृपा करके मेरी ओर देखें । लोकसाक्षी शिव ! आपको नमस्कार हैं ।