शेषनाग द्वारा भगवान शंकर की स्तुति
‘तीनों लोकों में स्वामी भगवान शंकर को नमस्कार हैं । जो दक्षयज्ञ के विध्वंसक, जगत के आदि विधात तथा त्रिभुवनरूप हैं, उन भगवान् शिवको नमस्कार हैं । जिनके सहस्त्रों मस्तक हैं, उन भगवान् सदाशिव को नमस्कार हैं । सबका संहार करनेवाले रुद्रदेव को नमस्कार हैं । भगवन ! आप सोम, सूर्य, अग्नि और जलरूप हैं; आपको नमस्कार हैं । जो सर्वदा सर्वस्वरूप और कालरूप हैं, उन भगवान् शिवको नमस्कार हैं । सर्वेश्वर शंकर ! मेरी रक्षा कीजिये । सर्वव्यापी सोमेश्वर ! शंकर ! मेरी रक्षा कीजिये । जगन्नाथ ! आपको नमस्कार हैं । मेरा मनोरथ पूर्ण कीजिये ।’