इंद्र द्वारा भगवान विष्णु की स्तुति
मत्स्य, कूर्म और वाराहरूप धारण करनेवाले भगवान् विष्णु को बारंबार नमस्कार है । नरसिंहदेव तथा वामन को भी नमस्कार है । हयग्रीवरूपधारी भगवान् को नमस्कार है । त्रिविक्रम ! आपको नमस्कार है । श्रीराम, बुद्ध और कल्किरूप भगवान को नमस्कार है । परमेश्वर ! आप अनंत एवं अच्युत हैं । आपको नमस्कार है । परशुरामरूपधारी ! आपको नमस्कार है । मैं इंद्र, वरुण और यम आपके ही स्वरुप हैं । आपको नमस्कार है । त्रिलोकीरूपधारी देवता परमेश्वर को नमस्कार है । भगवन ! आप अपने मुख में सरस्वती को धारण करते हैं और सर्वज्ञ हैं । आप लक्ष्मीवान है । अतएव लक्ष्मी को वक्ष:स्थलपर धारण करते हैं । पाप-ताप आपको छू भी नहीं सकते । आपकी बाँहे, जंघा तथा चरण अनेक हैं । कान, नेत्र तथा मस्तक भी बहुत हैं । आप ही वास्तव में सुखी है । आपको पाकर बहुत-से जीव सुखी हो गये । हरे ! आप करुणा के सागर हैं । मनुष्यों को तभीतक निर्धनता, मलिनता और दीनता का सामान करना पड़ता है, जबतक वे आपकी शरण में नहीं जाते । सबदुःखहर्ता भगवान् विष्णु को बारंबार नमस्कार है ।