Shree Naval Kishori

ब्रह्माजी द्वारा भगवान विष्णुकी स्तुति

सहस्त्रमूर्ते ! आपको बारंबार नमस्कार हैं । आपके सहस्त्रों बाँहें, अनेक मुख और अनेक चरण हैं । आप जगत की सृष्टि, पालन और संहार में संलग्न रहते हैं । अप्रमेय परमेश्वर ! आपको बारंबार नमस्कार हैं । भगवन ! आप सूक्ष्म से भी अत्यंत सूक्ष्म, परम महान और बड़े-बड़े गुरुओं से भी अधिक गौरवशाली है । आप प्रकृति, समष्टि बुद्धि (महत्तत्त्व), अहंकार तथा वाणी के भी प्रधान मूल हैं । अपरा-प्रकृतिमय सम्पूर्ण जगत आपका ही स्वरूप हैं आप हमपर प्रसन्न होइये । देव ! यह पृथ्वी आपकी शरण में आयी हैं । इससमय भूतलपर जो बड़े-बड़े असुर उत्पन्न हुए है, उनके द्वारा पीड़ित होने से इसके पर्वतरूपी बंधन शिथिल पड गये हैं । आप सम्पूर्ण जगत के परम आश्रय हैं । आपकी महिमा अपरम्पार हैं । अत” यह वसुधा अपना भार उतरवाने के लिये आपकी ही सेवा में उपस्थित हुई हैं । हमलोग भी यहाँ उपस्थित हुए हैं । ये इंद्र, दोनों अश्विनीकुमार, वरुण, रूद्र, वसु, आदित्य, वायु, अग्नि तथा अन्य सम्पूर्ण देवता यहाँ खड़े हैं । देवेश्वर ! मुझे तथा इन देवताओं को जो कुछ करना हो, उसके लिये आज्ञा दीजिये । आपके ही आदेश का पालन करते हुए हमलोग सदा सम्पूर्ण दोषों से मुक्त रहेंगे । सहस्त्रमूर्ते ! आप दर्शन देने का कृपा करे ।