उग्रश्रवाजी द्वारा भगवान की स्तुती
जो सृष्टिरूप मूल प्रकृतिके ज्ञाता तथा इस भावात्मक पदार्थोंके द्रष्टा हैं, जिन्होंने इस लोककी रचनाकी है, जो लोकतत्त्वके ज्ञाता तथा योगवेत्ता हैं, जिन्होंने योगका आश्रय लेकर सम्पूर्ण चराचर जीवोंकी सृष्टिकी है और जो समस्त भूतों तथा अखिल विश्वके स्वामी हैं, उन सच्चिदानंद परमेश्वर को मैं नमस्कार करता हूँ ।