Shree Naval Kishori

देवताओं द्वारा भगवान विष्णु की स्तुति

देवाधिदेवेश्वर ! आपकी जय हो। शड्ख और गदा धारण करनेवाले देवता ! आपकी जय हो यह सम्पूर्ण जगत् आपका स्वरुप है। आपको नमस्कार है। आप ही ब्रम्ह्माण्डकी उत्पात्तिके आदि कारण हैं। आपको नमस्कार है। देवदेवेश्व ! आपको नमस्कार है। लोकपाल ! आपको नमस्कार है। सम्पूर्ण जगतकी रक्षा करनेवाले ! आपको नमस्कार है। लोकसाक्षिन् आपको नमस्कार है। ध्यानगम्य ! आपको नमस्कार है। ध्यानके हेतुभुत ! ध्यानस्वरुप तथा ध्यानके साक्षी परमेंश्वर ! आपको नमस्कार है। पृथ्वी आदि पाँच भूत आपके ही स्वरुप है;  आपको नमस्कार है। आप चैतन्यरुप है: आपको नमस्कार है। आप सबसे ज्येष्ठ हैं,  आपको नमस्कार है। आप शुध्दस्वरुप हैं,  निर्गुण हैं तथा गुणरुप हैं,  आपको नमस्कार है। निरकार— साकार तथा अनेक रुप धारण करनेवाले आपको नमस्कार है। गौओं तथा ब्राह्मणोंके हितैषी ! आपको नमस्कार है। जगतका हित— साधन करनेवाले साच्चिदानन्द्स्वरुप गोविन्द ! आपको बार— बार नमस्कार है।