Shree Naval Kishori

मॄकण्डुजी द्वारा भगवान् विष्णु की स्तुति

परमात्मस्वरुप परमेंश्वरको नमस्कार है। जो परसे भी अति परे हैं,  जिनका पार पाना असम्भव है,  जो दूसरोंपर अनुग्रह करनेवाले तथा दूसरोंको संसार— सागरके उस पार पहुँचा देनेवाले है,  उन भगवान् ‍श्रीहरिको नमस्कार है। जो नाम और जाति आदिकी कल्पनाओंसे रहित है,   जिनका स्वरुप शब्दादि विषयोंके दोषसे दूर है,  जिनके अनेक स्वरुप हैं तथा जो तमोगुणसे सर्वथा शुन्य हैं,  उन स्तुति करनेयोग्य परमेंश्वरका मैं भजन करता हूँ जो वेदान्तवेध और पुराणपुरुष हैं,  ब्रह्मा आदिसे लेकर सम्पूर्ण जगत् ‍जिनका स्वरुप है,  जिनका कहीं भी उपमा नहीं है तथा जो भक्तजनोंपर अनुग्रह करनेवाले हैं,  उन स्तवन करनेयोग्य आदिपरमेंश्वरकी मैं आराधना करता हूँ। जिनके समस्त दोष दूर हो गये हैं,  जो एकमात्र ध्यानमें स्थित रहते हैं,  जिनकी कामना निव्रत और मोह दूर हो गये हैं,  ऎसे महात्मा पुरुष जिनका दर्शन करते है,   संसार— बन्धनको नष्ट करनेवाले उन परम पवित्र परमात्माको मैं प्रणाम करता हूँ। जो स्मरणमात्रसे समस्त पीडाओंका नाश कर देते है,   शरणमें आये हुए भक्तजनोंका पालन करते हैं,  जो समस्त संसारके सेव्य हैं तथा सम्पूर्ण जगत् जिनके भीतर निवास करता है,  उन कारुणासागर परमेंश्वर विष्णुको मैं नमस्कार करता हूँ।