Shree Naval Kishori

कण्वऋषि द्वारा माँ गंगे की स्तुति

भारी पीडाओं को हरनेवाली भगवती गंगा ! आपको नमस्कार हैं तथा सब लोगों को पीड़ा देनेवाली क्षुधादेवी ! आपको भी नमस्कार हैं । महादेवजी की जटा से प्रकट हुई कल्याणमयी गौतमी ! आपको नमस्कार है तथा महामृत्यु के मुखसे निकली हुई क्षुधादेवी ! आपको भी नमस्कार हैं । देवि ! आपही पुण्यात्माओं के लिये शान्तिरुपा और दुरात्माओं के लिये क्रोधस्वरूपा हो । नदी के रूप से सबके पाप-ताप हर लेती हो और क्षुधारूप में आकर सबको पाप-ताप देती रहती हो । कल्याणकारिणी देवी ! आपको नमस्कार है । पापों का दमन करनेवाली गंगा ! आपको प्रणाम हैं । भगवती शान्तिकरी ! आपको नमस्कार हैं । दरिद्रता का विनाश करनेवाली देवी ! आपको प्रणाम हैं ।

‘देवि गोदावरी ! शुभे ! ब्राह्मी, माहेश्वरी, वैष्णवी और त्र्यम्बका – ये सब आपके ही नाम हैं । आपको नमस्कार हैं । भगवान त्र्यम्बक की जटा से प्रकट होकर महर्षि गौतम का पाप नष्ट करनेवाली गोदावरी ! आप सात धाराओं में विभक्त होकर समुद्र में मिलती हो । आपको नमस्कार हैं । क्षुधादेवी ! आप समस्त पापियों के लिये पापमयी, दुःखमयी और लोभमयी हो । धर्म, अर्थ और काम का नाश करनेवाली भी आपही हो । आपको बारंबार नमस्कार हैं ।’