Shree Naval Kishori

श्रीराम जी के द्वारा भगवान शिव की स्तुति

मैं पुराणपुरुष शम्भु को नमस्कार करता हूँ । जिनकी असीम सत्ताका कहीं पार या अंत नहीं है, उन सर्वज्ञ शिव को मैं प्रणाम करता हूँ । अविनाशी प्रभु रूद्र को नमस्कार करता हूँ । सबका संहार करनेवाले शर्व को मस्तक झुकाकर प्रणाम करता हूँ । अविनाशी परमदेव को नमस्कार करता हूँ । लोकगुरु उमापति को प्रणाम करता हूँ । दरिद्रता का विनाश करनेवाले शिव को नमस्कार करता हूँ । रोगों का अपहरण करनेवाले महेश्वर को प्रणाम करता हूँ । जिनका रूप चिन्तन का विषय नहीं हैं, उन कल्याणमय शिवको नमस्कार करता हूँ । विश्व की उत्पत्ति के बीजभूत भगवान भव को प्रणाम करता हूँ । जगतका पालन करनेवाले परमात्मा को नमस्कार करता हूँ । संहारकारी रूद्रको बारंबार प्रणाम करता हूँ । पार्वतीजी के प्रियतम अविनाशी प्रभु को नमस्कार करता हूँ । नित्य, क्षर-अक्षरस्वरूप शंकर को प्रणाम करता हूँ । जिनका स्वरूप चिन्मय है और अप्रमेय हैं, उन भगवान् त्रिलोचन को मैं मस्तक झुकाकर बारंबार नमस्कार करता हूँ । करुणा करनेवाले भगवान शिव को प्रणाम करता हूँ तथा संसार को भय देनेवाले भगवान् भूतनाथ को सर्वदा नमस्कार करता हूँ । मनोवांछित फलों के दाता महेश्वर को प्रणाम करता हूँ । भगवती उमाके स्वामी श्रीसोमनाथ को नमस्कार करता हूँ । तीनों वेद जिनके तीन नेत्र हैं, उन त्रिलोचन को प्रणाम करता हूँ । त्रिविध मुर्तिसे रहित सदा शिव को नमस्कार करता हूँ । पुण्यमय शिव को प्रणाम करता हूँ । सत-असतसे पृथक परमात्मा को नमस्कार करता हूँ । पापों का अपहरण करनेवाले भगवान हर को प्रणाम करता हूँ । जो सम्पूर्ण विश्व के हितमें लगे रहते हैं, उन भगवान को नमस्कार करता हूँ । जो बहुत-से रूपधारण करते हैं, उन भगवान् शंकर को प्रणाम करता हूँ । जो संसार के रक्षक तथा सत और असत के निर्माता हैं, उन्हें नमस्कार करता हूँ । जो सम्पूर्ण विश्व के स्वामी हैं, उन विश्वनाथ को प्रणाम करता हूँ । हव्य-कव्यस्वरुप यज्ञेश्वर को नमस्कार करता हूँ । सम्पूर्ण लोकों का सर्वदा कल्याण करनेवाले जो भगवान शिव आराधना करनेपर उत्तम गति एवं सम्पूर्ण अभीष्ट वस्तुएँ प्रदान करते हैं , उन दानप्रिय इष्टदेव को मैं नमस्कार करता हूँ । भगवान सोमनाथ को प्रणाम करता हूँ । जो स्वतंत्र न रहकर भक्तों के पराधीन रहते हैं, उन विजयशील उमानाथ को मैं नमस्कार करता हूँ । विघ्नराज गणेश तथा नंदी के स्वामी पुत्रप्रिय भगवान शिवको मैं मस्तक झुकाकर प्रणाम करता हूँ । संसार के दुःख और शोक का नाश करनेवाले देवता भगवान चंदशेखर को मैं बारंबार नमस्कार करता हूँ । जो स्तुति करने योग्य और मस्तकपर गंगा को धारण करनेवाले हैं, उन महेश्वर को नमस्कार करता हूँ । देवताओं में श्रेष्ठ उमापति को प्रणाम करता हूँ । ब्रह्मा आदि ईश्वर, इंद्र आदि देवता तथा असुर भी जिनके चरण-कमलों की पूजा करते हैं, उन भगवान् को मैं नमस्कार करता हूँ । जिन्होंने पार्वतीदेवी के मुख से निकलनेवाले वचनोंपर दृष्टिपात करने के लिये मानो तीन नेत्र धारण कर रखे हैं, उन भगवान् को प्रणाम करता हूँ । पंचामृत, चन्दन, उत्तम, धुप, दीप, भांति-भांति के विचित्र पुष्प, मन्त्र तथा अन्न आदि समस्त उपचारों से पूजित भगवान सोम को मैं नमस्कार करता हूँ ।