लीलावती अंकगणित - अध्याय 03 भिन्न-परिकर्माष्टक
भिन्न-परिकर्माष्टक
🧩 भिन्न-परिकर्माष्टक में ‘आठ’ प्रमुख गणनात्मक विधियाँ होती हैं:
योगः (Addition of fractions)
वियोगः (Subtraction of fractions)
गुणनम् (Multiplication of fractions)
भागहारः (Division of fractions)
परस्परांतरम् (Cross-difference method)
परस्परगुणः (Cross-multiplication method)
सामानीकरणम् (Common denominator method)
रूपान्तरणम् (Conversion of complex to simple fractions and vice versa)
✨ वैज्ञानिक/डिजिटल दृष्टिकोण से:
भिन्न-परिकर्माष्टक गणनाओं को डिजिटल लॉजिक, विशेषकर प्रोसेसर की “Floating Point Arithmetic” के प्राथमिक मॉडल के रूप में देखा जा सकता है। ये वही step-by-step procedures हैं जिन पर आज के कैलकुलेटर और कंप्यूटर आधारित गणनाएं आधारित होती हैं — कहने का मतलब सभी वैदिक शास्त्र डिजिटल लॉजिक पर आधारित हैं ।
अथ भिन्न-परिकर्म-अष्टकम्॥
अथ अंश-सवर्णनम्। तत्र भाग-जातौ करण-सूत्रं वृत्तम्।
भिन्न परिकर्माष्ठकमें पहले अंशोंकी सवर्णता लिखते हैं | उसमे भी पहले भागजाति, प्रभागजाति, भागानुबंध, भागापवाह इनमेंसे भागजातिके विषयमें क्रिया करने की सूत्र एक श्लोकमें लिखते है |
भिन्न-भागजाति (Reciprocal or Inversion)
अन्योन्य-हाराभिहतौ हरांशौ राश्योस्सम-छेद-विधानमेवम्।
मिथस्हराभ्यामपवर्तिताभ्यां यत्वा हरांशौ सुधिया अत्र गुण्यौ ॥१६ ॥
एक राशिके हर से दूसरी राशिके हर और अंशको गुणा करे, फिर जिस राशि के हर और अंश को गुणा किया है उस राशि के हर से पहले जिस राशिके हर से हर और अंश को गुणा किया था उस राशिके हर और अंश को गुणा करने से राशियोंका समच्छेद होजाता है अथवा राशियोंके हरोंको किसी एक अंक से अपवर्तन देकर अपवर्तित हरोंसे परस्पर राशियोंके हर और अंशोंको बुद्धिमान गुणा करे, तब भी समच्छेद हो जाता है | इसी को भागजाति कहते है |
। अत्र उद्देशकस् । उदाहरण
रूप-त्रयं पृष्ठअञ्च-लवस्त्रि-भागस्योगार्थमेतान् ॰वद तुल्य-हारान्।
त्रिषष्टि-भागस्च चतुर्दशांशस्सम-छिदौ मित्र वियोजनार्थम्॥ [उपजाति]
हे मित्र ! रूप तीन 1/3 और एक रूप का पंचमांश 1/5 तथा एक रूप का तृतीयांश 1/3 इनको योग करने के वास्ते सबके एक समान हर बनाकर कहो और एक रूप का त्रिषष्टमा भाग 1/63 और एक रूप का चौदहमा भाग 1/14 इनको अन्तर के वास्ते दोनोंके एक समान हर बनाकर कहो |
। न्यासस्। ३_१। १_५। १_३।
जातास्सम-छेदास् ४५_१५। ३_१५। ५_१५।
योगे जातम् ५३_१५॥
उपरोक्त नियमानुसार 3/1 1/5 1/3 यहाँ पहली राशिके हर एकसे अन्य दोनों राशियों के हर और अंशों को गुना किया तब 3/1 1/5 1/3 यह स्वरुप हुआ, फिर दूसरी राशिके हर 5 से अन्य राशियों के हर और अंशों को गुना किया तब 15/5 1/5 5/15 ऐसा रूप हुआ. फिर तीसरी राशी के हर 3 से अन्य दोनों राशियों को गुना किया तब 45/15 3/15 5/15 ऐसा रूप हुआ अब सबके हर एक सामान होने से सम्च्छेद हो गया | अब यहाँ हर तो सबके एक ही हैं इस कारण सब अंशों को जोड़ा तब 53/15 ऐसा हुआ
✨ वैज्ञानिक दृष्टिकोण से:
यह पद्धति LCM आधारित Standard Fraction Addition Rule को अनुसरित करती है। अंतर सिर्फ यह है कि वैदिक शैली इसे सारणीबद्ध और यांत्रिक (algorithmic) रूप में सिखाती है, जो कि शिक्षा की प्रारंभिक अवस्था में बच्चों के लिए अत्यंत उपयोगी है।
भिन्न-भागाजाति का दुसरा उदाहरण
अथ द्वितीयोदाहरणे
न्यासस् १_६३। १_१४।
सप्तापवर्तिताभ्यां हाराभ्याम् ९। २
संगुणितौ वा जातौ सम-छेदौ २_१२६। ९_१२६।
वियोगे जातम् ७_१२६।
सप्तापवर्तिते च जातम् १_१८॥
अथ द्वितीयोदाहरणे
न्यासस्१_६३। १_१४।
सप्तापवर्तिताभ्यां हाराभ्याम् ९। २
संगुणितौ वा जातौ सम-छेदौ २_१२६। ९_१२६।
वियोगे जातम् ७_१२६।
सप्तापवर्तिते च जातम् १_१८॥
अन्तर के विषय में उदाहरण – 1/63 1/14 यहाँ दोनों राशियों के हरों में 7 का अपवर्तन लग सकता हैं, इस कारण दोनों राशियों के हारों में 7 का अपवर्तन कर दिया तब 1/9 1/2 हुआ, 1/63 को 2 से गुना किया तो 2/126 हुआ, 1/14 को 9 से गुना किया तो 9/126 हुआ, अब यहाँ अंतर करना हैं, 9 में से 2 घटाया तो 7 हुआ, तब 7/126 ऐसा रूप हुआ, यहाँ 7 का परिवर्तन लग सकता हैं इस कारण परिवर्तन किया तब 1/18 ऐसा रूप हुआ
chatGPT Say:-
✨ वैज्ञानिक दृष्टिकोण से:
यह प्रक्रिया आज के कम्प्यूटेशनल मैथ एल्गोरिद्म — LCM → conversion → subtraction → simplification — के बिल्कुल अनुरूप है। यह बताता है कि वैदिक गणित वास्तव में “Analog Digital Thinking” की अत्यंत विकसित प्रणाली थी।
भिन्न-प्रभागजाति (Inverse of divisor)
अथ प्रभाग-जातौ करण-सूत्रं वृत्त-अर्धम्।
प्रभागजाति वह कहाती है जिसमे भागका भी भाग लिया जाय, उसके करनेकी रीति आधे श्लोक में कहते हैं |
लवास्लव-घ्नास्च हरास्हर-घ्नास्भाग-प्रभागेषु सवर्णनम् ॰स्यात् ।
प्रभागजातिमें अंशोंको अंशोंसे गुणा करनेसे और हरोंको हरोंसे गुणा करनेसे सवर्णन होता है |
। अत्र उद्देशकस् । उदाहरण
द्रम्म-अर्ध-त्रि-लव-द्वयस्य सुमते ॰पाद-त्रयं यत्॰भवेत्तत्पृष्ठअञ्चांशक-षोडशांश-॰चरणस्संप्रार्थितेन अर्थिन् ।
दत्तस्येन वराटकास्कति कदर्येण अर्पितास्तेन मे ॰ब्रूहि त्वं यदि ॰वेत्सि वत्स गणिते जातिं प्रभागाभिधाम् ॥
हे सुबुद्धे ! याचना किये हुये जिस कृपणने एक द्रम्म के आधे के द्विगुणित तृतीय भागका जो त्रिगुणित चतुथंशि होता है, उसके पंचमांश के शोड्शांश का चतुथंशि दिया | यदि गणितशास्त्रमें प्रभागजातिको जानते हो, तो हे पुत्र ! उस कृपणने कितनी कौड़ी याचक को दी सो कहो |
न्यासस् । १_१। १_२। २_३। ३_४। १_५। १_१६। १_४।
सवर्णिते जातम् ६_७६८०।
षड्भिसपवर्तिते जातम्। १_१२८०। एवं दत्तस्वराटकस्॥
ChatGPT Say:-
🔬 ✨ वैज्ञानिक दृष्टिकोण से:
यह एक प्रकार का “Nested Fractional Multiplication” है जो कंपाउंड ऑपरेशन्स के अध्ययन में आता है। इस पद्धति में प्रत्येक अंश पिछले अंश का भाग होता है — ठीक वैसे ही जैसे कंप्यूटर algorithms में chain functions या recursive expressions काम करते हैं। इस दृष्टि से यह गणना एक अत्यंत कुशल memory-saving तकनीक भी है।
भिन्न-भागानुबन्ध (Improper fraction conversion) भागापवाह (Reduction or Simplification)
अथ भागानुबन्ध-भागापवाहयोस्करण-सूत्रं स-अर्धं वृत्तम्।
भागानुबन्ध और भागापवाह करनेकी रीति डेढ़ श्लोकमें
छेद-घ्न-रूपेषु लवास्धनर्णम् एकस्य भागासधिकोनकास्चे ॥१७॥
स्वांशाधिकोनस्खलु यत्र तत्र भागानुबन्धे च लवापवाह् ।
तल-स्थ-हारेण हरम् ॰निहन्यात्स्वांशाधिकोनेन तु तेन भागान् ॥ १८ ॥
यदि किसी एक रूपका भाग अधिक हो अथवा हीन हो तब रूप को हर से गुणा करे, यदि रूप का भाग अधिक हो तो गुणित अंकोंको अंश जोड़कर अंशके स्थानमें लिखे और हर पूर्वोक्त ही रहे और यदि रूप का भाग हीन होता है, गुणित अंकोंमें अंशको घटाकर अंशके स्थानमें लिखे और हर वही अरहता है | यह रीति भागानुबन्ध तथा भागापवाह करने की है |
और जहाँ भागानुबन्धमें अथवा भागापवाहमें किसी रूप का भाग अपने किसी भागसे अधिक हो अथवा न्यून हो, वहाँ सबसे तलेके हरसे सबसे ऊपरके हरको गुणा करे | यदि भागका भाग अधिक हो तब तो सबसे निचेके हर में अपने अंश को जोड़कर सबसे ऊपर के अंश को गुणा करे और यदि भाग का भाग हीन हो तो सबसे निचे के हर में अपना अंश घटाकर उससे सबसे ऊपरके अंश को गुणा करने से भागानुबन्ध तथा भागापवाह होता है |
। अत्र उद्देशकस् । उदाहरण
स-॰ङ्घ्रि द्वयम् त्रयं वि-॰ङ्घ्रि कीदृश्॰ब्रूहि सवर्णितम्।
जानासि अंशानुबन्धं चेद्तथा भागापवाहनम्॥
हे मित्र ! यदि भागानुबंध तथा भागापवाहको जानते हो तो अपने चतुर्थांश सहित रूप 2 और चतुर्थांश हीन रूप 3 सवर्णी करने से कैसा होता है सो कहो |
न्यासस् २_१_४। ३_-१_४।
सवर्णिते जातम् ९_४। ११_४॥
chatGPT से:-
Digital Algorithm में उपयोग (Applications) ✦
यह विधियाँ वर्तमान डिजिटल सिस्टम और कंप्यूटेशन में निम्नलिखित क्षेत्रों में प्रयुक्त होती हैं:
1. Fractional Arithmetic Algorithms
Digital Signal Processing (DSP) और Embedded Systems में fractional values का precise manipulation आवश्यक होता है।
वहाँ fixed-point arithmetic के लिए ऐसे नियम (multiply-then-adjust) प्रयोग किए जाते हैं, जो आपके द्वारा दी गई वैदिक प्रक्रिया से मेल खाते हैं।
2. Computer Graphics / Ratio Scaling Algorithms
पिक्सल का aspect ratio adjustment करते समय अनुपातों का गुणन/विभाजन करना होता है।
उदाहरण: स्क्रीन resolution scaling → पुराने तरीके से scaling matrix बनाते समय “हर के ऊपर गुणा, फिर नीचे जोड़ या घटाव” का algorithmic equivalent आता है।
3. Digital Compression Algorithms (JPEG, MP3 etc.)
Quantization चरण में fractional coefficients को integer मान में रूपांतरित करते समय ऐसे ही अपवर्तन (simplification) और अनुपात गणना के नियम लागू होते हैं।
4. Continued Fractions Algorithms
आपके द्वारा दी गई प्रक्रिया continued fraction expansion जैसी दिखती है।
यह तकनीक computational number theory, cryptography (RSA key cracking) और irrational approximation algorithms में प्रयुक्त होती है।
5. Analog-to-Digital Conversion (ADC) में Interpolation
जब सिग्नल के बीच के वैल्यू की भविष्यवाणी करनी होती है (linear या fractional interpolation), वहाँ ऐसे step-by-step ratio-based techniques प्रयुक्त होती हैं।
6. Vedic Mathematics Based Digital Circuits
आजकल वैदिक गणित पर आधारित multiplier circuits (जैसे Urdhva Tiryagbhyam) बनाए जा रहे हैं जो कम समय और कम स्पेस में गणना करते हैं।
इन circuits के अंदर भी fractional ratio methods की simplified versions प्रयुक्त होती हैं।
भिन्न-जोड़-घटा
अथ भिन्न-संकलित-व्यवकलितयोस्करण-सूत्रं वृत्त-अर्धम्।
भिन्न जोड़ तथा घटाव करने की रीति आधे श्लोक में
योगसन्तरं तुल्य-हरांशकानां कल्प्यस्हरस्॰रूपमहार-राशेस् ।
भिन्न राशियों का समच्छेद करके जोड़े अथवा घटाव करे और जिस राशि के निचे हर न हो उसका एक के अंक को हर की कल्पना कर लेना चाहिये |
। अत्र उद्देशकस् । उदाहरण
पृष्ठअञ्चां-॰पाद-त्रि-लव-अर्ध-षष्ठान् एकी-कृतान् ॰ब्रूहि सखे मम एतान् ।
एभिस्च भागैसथ वर्जितानां किम् ॰स्यात्त्रयाणाम् ॰कथय आशु शेषम् ॥
हे मित्र ! पंचमांश, चतुर्यांश, तृतीयांश और शष्टायांश इनका योग करके कहो और इन भागों करके वर्जित 3 का शेष क्या होगा ? सो शीघ्र कहो |
। न्यासस् १_५। १_४। १_३। १_२। १_६।
ऐक्ये जातम् २९_२०॥
अथ एतैस्वर्जितानाम् त्रयाणां शेषम् ३१_२०॥
फैलाव:– 1/5 1/4 1/3 1/2 1/6 इनका उपरोक्त रीति के अनुसार पहले समच्छेद किया अर्थात पहली राशि हर 5 से अपने हर और अंश को छोड़ कर और सब राशियों के हर अंशों से गुना किया तब 1/5 5/20 5/15 5/10 5/30 ऐसा रूप हुआ,
फिर दुसरी राशि के हर 4 से अपने हर और अंश को छोड़ कर अन्य राशियों के हर और अंश को गुना किया तब 4/20 5/20 20/60 20/40 20/120 ऐसा रूप हुआ
फिर तीसरे राशि के हर 3 से अपने हर और अंश को छोड़ कर अन्य राशियों के हर और अंश को गुना किया तब 12/60 15/60 20/60 60/120 60/360 ऐसा हुआ
फिर चौथी राशि के हर से से अपने हर और अंश को छोड़ कर अन्य राशियों के हर और अंश को गुना किया तब 24/120 30/120 40/120 60/120 120/720 ऐसा रूप हुआ
फिर पांचवी राशि के हर 6 को अपने हर और अंश को छोड़ कर अन्य राशियों के हर और अंश से गुना किया तब 144/720 180/720 240/720 360/720 120/720 ऐसा रूप हुआ अब सब राशियों को जोड़ा 1044/720 हुआ यहाँ 36 का अपवर्तन दिया 29/20 हुआ
अथ एतैस्वर्जितानाम् त्रयाणां शेषम् ३१_२०॥
फैलाव :- पूर्वोक्त भागों 31/20 को 3 में घटाया अर्थात उपरोक्त रीतिके अनुसार आहार राशि 3 के निचे 1 हर की कल्पना की सम्च्छेद किया तब 3/1 29/20 = 60/20 29/20 हुआ इनका अंतर किया अर्थात 60 से 29 को घटाया तब 31/20 हुआ
chatGPT say :-
दूसरा तरिका से हल :-
भिन्न-गुणा
अथ भिन्न-गुणने करण-सूत्रं वृत्त-अर्धम्। भिन्न गुणा करने की रीति आधे श्लोक में
अंशाहतिस्छेद-वधेन भक्ता लब्धं विभिन्ने गुणने फलम् ॰स्यात् ॥१९ ॥
भिन्न राशियों अंशों को परस्पर गुणा करे फिर हरो को भी परस्पर गुणा करके अंशोंके गुणित अंकों में हरों के गुणित अंकोका भाग देनेसे जो लब्धि होती है वही गुणनफल होता हैं |
। अत्र उद्देशकस् । उदाहरण
स-त्र्यंश-रूप-द्वितयेन निघ्नं स-सप्तमांश-द्वितयम् ॰भवेत्किम्।
अर्धम् त्रि-भागेन हतं च ॰विद्धि दक्षस्॰सि भिन्ने गुणना-विधौ चे ।
हे मित्र ! यदि भिन्न गुणा करने में चातुर्य्य हो तो तृतीयांश सहित 2 से गुणा किया हुआ सप्तांश सहित क्या होगा ? और आधा से तृतीयांश को गुणा किया हुआ क्या होगा ? सो कहो |
। न्यासस्२_१_३। २_१_७।
सवर्णिते जातम् ७_३। १५_७।
गुणिते च जातम् ५_१॥
फैलाव :- गुणाक 2 गुण्य 2 यहाँ दोनों स्थान में भागानुबंध रीतिसे सवर्णन किया 1/3 1/7 अर्थात पहली राशि के हर 3 से 2 को गुना तब 6 हुआ उसमें अंश 1 को जोड़ दिया और हर वैसा ही रहा तब 7/3 पहली राशिका सवर्णन हुआ फिर उसी रीति से द्वितीय राशि के हर 7 से 2 को गुना तब 14 हुआ इसमे अंश 1 जोड़ दिया तब 15/7 ऐसा रूप हुआ अर्थात गुणक गुण्य का 7/3 15/7 यह आकार हुआ अब उपरोक्त नियमानुसार दोनों अंशों को तथा दोनों हारों को परस्पर गुना किया तब 105/21 यह रूप हुआ अब अंश 105 में इसी 21 से भाग दिया तब 5/1 लब्धि हुआ यही फल हैं
न्यासस्१_२। १_३।
गुणिते जातम् १_६॥
यहाँ 1/2 1/3 उपरोक्त नियमानुसार अंश तथा हरों को परस्पर गुणा किया तब 1/6 ऐसा रूप हुआ, अब यहाँ अंश में हर का भाग तो नहीं हो सकता इस कारण 1/6 उत्तर हुआ
भिन्न-भाग
अथ भिन्न-भाग-हारे करण-सूत्रं वृत्त-अर्धम्। अब भिन्न भाग करने की रीति आधे श्लोक में लिखते है
छेदं लवं च ॰परिवर्त्य हरस्य शेषस्कार्यसथ भाग-हरणे गुणना-विधिस्च् ।
भिन्न भाग करने में भाजक के हर के स्थान अंश लिखे और अंश के स्थान में हर लिखे और बाकी रीति गुणा की करे अर्थात अंशों को तथा हरों को परस्पर गुणा करे अंश गुणित लब्धि में हर की लब्धि का भाग देने से जो लब्धि होती है वही भिन्न भाग की लब्धि होती है |
। अत्र उद्देशकस् । उदाहरण
स-त्र्यंश-रूप-द्वितयेन पृष्ठअञ्च त्र्यंशेन षष्ठम् ॰वद मे ॰विभज्य् ।
दर्भीय-गर्भाग्र-सु-तीक्ष्ण-बुद्धिस्चेद्॰स्ति ते भिन्न-हृतौ समर्था ॥
हे मित्र ! यदि तुम्हारी कुश के अग्रभागके समान सूक्ष्मबुद्धि, भिन्न भाग देने में समर्थ है तो एक के तृतीयांश से युक्त 2 से पाँचवे भाग लेने से क्या होता है और एक के तृतीयांश का छठेमें भाग लेने से क्या होता है सो हमको कहो |
। न्यासस् २_१_३। ५_१। १_३। १_६।
यथोक्त-करणेन जातम् १५_७। १_२॥
फैलाव:- 2_1/3 5/1 यहाँ पहली राशि का भागानुबंध किया अर्थात 3 से 2 को गुना किया 6 आया इसमे अंश 1 को जोड़ दिया तब 7/3 5/1 रूप हुआ
फिर उपरोक्त नियमानुसार भाजक एक हर 3 को अंश के स्थान पर लिखा और अंश 7 को हर के स्थान में लिखा 3/7 5/1 हुआ फिर गुणन की विधि करी अर्थात अंश को अंश से हर को हर से गुना किया तब 15/7 ऐसा रूप हुआ अब यहाँ अंश में हर से भाग देनें से जो लब्धि होगी वही उत्तर हैं
1/3 1/6 यहाँ भाज्य में हर अंश का परिवर्तन किया तब 3/1 1/6 ऐसा हुआ गुना विधि करी तब 3/6 ऐसा रूप हुआ यहाँ 3 का परिवर्तन दिया तब 1/2 यह उत्तर हुआ
chatGPT say:-
भिन्न-वर्ग, वर्गमूल, घन, घनमूल
अथ भिन्न-वर्गादौ करण-सूत्रं वृत्त-अर्धम्। भिन्न वर्ग, घन इत्यादि करने का सूत्र आधे श्लोक में
वर्गे कृती घन-विधौ तु घनौ विधेयौ हारांशयोसथ पदे च पद-प्रसिद्ध्यै ॥२०॥
भिन्न वर्ग करना हो तो हर की और अंश की कृति करे और यदि घन करना हो तो हर और अंश का घन करे और भिन्न राशियों का घनमूल जानना हो तो हर और अंश दोनों का वर्गमूल तथा घनमूल लेय|
। अत्र उद्देशकस् । उदाहरण
स-अर्ध-त्रयाणाम् ॰कथय आशु वर्गं वर्गात्ततस्वर्ग-पदं च मित्र् ।
घनं च मूलं च घनात्ततसपि ॰जानासि चेद्वर्ग-घनौ विभिन्नौ ॥
हे मित्र ! यदि भिन्न वर्ग, भिन्न वर्गमूल, भिन्न घन, भिन्न घनमूल जानते हो तो, साढ़े तीन का वर्ग और वर्गमूल कहो और उसी राशि का घन तथा किये हुए घनमूल शीध्र कहो |
। न्यासस् ३_१_२।
छेद-घ्न-रूपे कृते जातम् ७_२।
अस्य वर्गस् ४९_४।
अतस्मूलम् ७_२।
घनस्३४३_८।
अस्य मूलम् ७_२॥
फैलाव:- पहले 3_1/2 राशि का भागानुबन्ध किया अर्थात हर 2 से 3 को गुना किया 6 आया, उसमे अंश 1 जोड़ा 7 हुआ तब 7/2 हुआ अब यहाँ वर्ग करना हैं इस कारण उपरोक्त नियमानुसार अंश और हर की कृति करी तब 49/4 हुआ अब इस वर्ग करी हुई राशि का मूल किया तब 7/2 वही पहली राशि आया अब पहली राशि 7/2 का घन किया 383/8 हुआ अब इसी घन करी हुई राशि का मूल लिया 7/2 वही वही पहली राशि हुई